एक मसीहा ऐसा भी.....
लम्हों की ज़िंदगी में सदियों का जी गया.....
डॉक्टर अकबर अली,
हर इंसान का दुनिया में आना और जाना तय है, लेकिन यह कोई नहीं जानता है कि कौन कब आयोगा और कब जाएगा। आने जाने का तो पता नहीं लेकिन यह आने जाने के बीच की हमारी ज़िन्दगी हमारे ऊपर होती है कि हम इसको कैसे गुज़ारें। अक्सर हम अपनी ही उलझनों में उलझे रह जाते हैं। सही-गलत, नेकी-बदी इन सब चीज़ों को नज़रंदाज़ कर जाते हैं।
लेकिन आज भी दुनिया में कुछ ऐसे लोग हैं जो बहुत सारी बातों के साथ एक बात जो कि बहुत ज़रूरी है। याद रखते हैं, और वह है नेकी।
नेकी को आज हमने बहुत आम कर दिया है। जब की नेकी बहुत खास होनी चाहिए। नेकी वह नहीं जो दुनिया देखती है। बल्कि नेकी वह है जो सिर्फ खुदा देखे। क्योंकि नेकी वह है जो बंदे को खुदा से जोड़ती है।
डॉक्टर और शिक्षक यह दो ऐसे नाम और काम हैं जिसमें नेकी और कमाई दोनों होती है। बस यह हमारे ऊपर होता है कि हम क्या-क्या कमाएं।
डॉक्टर अकबर अली पेशे से डॉक्टर थे। लेकिन अपने पेशे से जितनी ईमानदारी करते थे यह हम में से शायद बहुत कम लोग ही जानते होंगे। आज जब डॉ अकबर अली साहेब हमारे बीच नहीं रहे तब बहुत सारी बातें जो कि हम उनके जीते जी नहीं जान पाए थे। वे आज उनके इंतेकाल के बाद हमको मालूम हो रही है।
मालूम हुआ कि डॉ अकबर अली ने एक अस्पताल को अपनी ज़िन्दगी के तीस साल दे दिये। जहां पर वह किसी भी काम के लिए किसी भी तरह का पैसा नहीं लेते थे। यह बहुत ही चौंकाने वाली खबर सामने आई है। जिसे सुनकर शायद हर कोई सिर्फ डाक्टर साहेब पर रश्क कर सकता है। मगर अफसोस आज हम उनके इस काम के लिए उनको मुबारक बाद नहीं दे सकते। डॉक्टर साहेब ने अपने पेशे को अपना ज़रीया-ए-मआश से साथ-साथ इबादत भी बना लिया।
डॉक्टर साहेब ने इंसानियत की जो मिसाल पेश की है वह हमारे और आने वाली नस्लों के लिए एक बेहतरीन मिसाल है। जिसके बिना पर हम आने वाली ज़िन्दगी को बेहतर तरीके से जी सकें।
आज डाक्टरी जैसा मसीहाई पेशा जो रूप धारण कर चुका है वह बताने की ज़रूरत नहीं है। लेकिन डॉक्टर अकबर अली जैसे लोगों की वजह से ही शायद आज दुनिया में अच्छाई ज़िंदा है। वरना आज ज़िन्दगी बचाने की लालच में हर दिन इंसानियत मर रही है।
ज़िन्दगी रहते तो जी लेता है हर कोई दुनिया में
मौत के बाद दो-जहां जीने वाले हैं कम।
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